Monday 4 March 2013

Murli Hindi-05.03.13

MP-3 Audio Murli-05.03.13

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-तुम रूहानी यात्रा पर हो तुम्हें देह का भान और पुरानी दुनिया को भूल वापस घर चलना है, 
एक बाप की याद में रहना है'' 

प्रश्न:- साक्षी हो कौन सी बात हर एक को अपने आप से पूछनी है? 
उत्तर:- जैसे बाप साक्षी हो हर एक बच्चे की अवस्था देखते हैं कि इनकी अवस्था कैसी है? बाप को पाकर अतीन्द्रिय 
सुख का अनुभव करते हैं या नहीं? ऐसे अपने से पूछना है कि हम अपने आपको कितना सौभाग्यशाली समझते हैं? 
कितनी खुशी रहती है? बाप से पूरा वर्सा लिया है? वारिस बनाये हैं? योगबल से पापों को भस्म कर पुण्य आत्मा बने हैं?
 
गीत:- रात के राही थक मत जाना..... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप ने जो फर्स्टक्लास यात्रा सिखलाई है, उस रूहानी यात्रा पर रहना है। श्रीमत पर देह सहित सब कुछ भूलना है। 

2) कभी भी माया के तूफानों में कमजोर वा संशय बुद्धि नहीं बनना है। किसी भी बात में मूंझना नहीं है। 

वरदान:- सेवा का पार्ट बजाते पार्ट से न्यारे और बाप के प्यारे रहने वाले सहज योगी भव 

कई बच्चे कहते हैं योग कभी लगता है कभी नहीं लगता, इसका कारण है - न्यारे पन की कमी। न्यारे न होने के 
कारण प्यार का अनुभव नहीं होता और जहाँ प्यार नहीं वहाँ याद नहीं। जितना ज्यादा प्यार उतनी सहज याद 
इसलिए संबंध के आधार पर पार्ट नहीं बजाओ, सेवा के संबंध से पार्ट बजाओ तो न्यारे रहेंगे। कमल पुष्प समान 
पुरानी दुनिया के वातावरण से न्यारे और बाप के प्यारे बनो तो सहजयोगी बन जायेंगे। 

स्लोगन:- ज्ञानी वह है जो कारण शब्द को मर्ज कर हर बात का निवारण कर दे।

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