Friday, 15 March 2013

Murli Hindi-16.03.13

 
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाबा आया है तुम बच्चों की महफिल में, अभी तुम ज्ञान अमृत की महफिल मना रहे हो, 
तुम्हारी मुसाफिरी अब पूरी हुई, वापस घर जाना है'' 

प्रश्न:- अनेक प्रकार के तूफानों में याद को सहज बनाने की विधि क्या है? 
उत्तर:- शरीर निर्वाह करते 5-10 मिनट भी बुद्धि को शिवबाबा में लगाने की कोशिश करो, इस शरीर को भुलाते जाओ। 
मैं अशरीरी आत्मा हूँ, पार्ट बजाने के लिए इस शरीर में आई हूँ। अब फिर अशरीरी बन घर जाना है। ऐसे-ऐसे अपने 
साथ बातें करो। एक सत बाप के साथ बुद्धि का संग हो, दूसरे संग से अपनी सम्भाल करो तो याद सहज हो जायेगी। 

गीत:- आ गये दिल में तू..... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अपनी ऊंच तकदीर बनाने के लिए विकर्मो का विनाश करने का पुरुषार्थ करना है। पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है। 

2) कुसंग से अपनी सम्भाल करनी है। पतित-पावन बाप के संग से स्वयं को पावन बनाना है। 

वरदान:- कर्मक्षेत्र पर कमल पुष्प समान रहते हुए माया की कीचड़ से सेफ रहने वाले कर्मयोगी भव 

कर्मयोगी को ही दूसरे शब्दों में कमल पुष्प कहा जाता है। कर्मयोगी अर्थात् कर्म और योग दोनों कम्बाइन्ड हों, 
किसी भी कर्म का बोझ अनुभव न हो। किसी भी प्रकार का कीचड़ अर्थात् माया का वायब्रेशन टच न करे। 
आत्मा की कमजोरी से माया को जन्म मिलता है। कमजोरी को समाप्त करने का साधन है रोज़ की मुरली। 
यही शक्तिशाली ताजा भोजन है। मनन शक्ति द्वारा इस भोजन को हज़म कर लो तो माया की कीचड़ से सेफ रहेंगे। 

स्लोगन:- सफलता की चाबी द्वारा सर्व खजानों को सफल करना ही महादानी बनना है।

No comments:

Post a Comment