Tuesday, 19 March 2013

Murli Hindi-19.03.13

MP-3 Audio Murli-19.03.13 
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अपना मिजाज़ बहुत मीठा बनाओ, भूले-चूके भी किसी को दु:ख मत दो, 
बुरे वचन कहना, क्रोध करना, डांटना.... यह सब दु:ख देना है'' 

प्रश्न:- माया बच्चों की परीक्षा किस रूप में लेती है? उस परीक्षा में अडोल रहने की विधि क्या है? 
उत्तर:- मुख्य परीक्षा आती है काम और क्रोध के रूप में। यह दोनों मुश्किल ही पीछा छोड़ते हैं। क्रोध
का भूत घड़ी-घड़ी दरवाजा खड़काता है। देखता है यह कहाँ भौं-भौं तो नहीं करते। अनेक प्रकार के 
तूफान दीपक को हिलाने की कोशिश करते हैं। इन परीक्षाओं में अडोल रहने के लिए एक सर्वशक्तिमान् 
बाप से योग रखना है। अन्दर खुशी के नगाड़े बजते रहें। ज्ञान और योगबल ही इन परीक्षाओं से पास 
करा सकता है। 

गीत:- निर्बल की लड़ाई बलवान से... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) ऐसा कोई भी कर्म नहीं करना है जो अपने ऊपर कृपा के बजाए श्राप आ जाए। कोई भी भूत के 
वश हो ट्रेटर कभी नहीं बनना है। 

2) श्रीमत पर बहुत-बहुत मीठा बनना है, चुप रहना है। बहुत मीठे मिजाज़ से बात करनी है। 
कभी काम या क्रोध के वश नहीं होना है। 

वरदान:- शान्ति की शक्ति द्वारा सर्व को आकर्षित करने वाले मास्टर शान्ति देवा भव 

जैसे वाणी द्वारा सेवा करने का तरीका आ गया है ऐसे अब शान्ति का तीर चलाओ, इस शान्ति की 
शक्ति द्वारा रेत में भी हरियाली कर सकते हो। कितना भी कड़ा पहाड़ हो उसमें भी पानी निकाल 
सकते हो। इस शान्ति की महान शक्ति को संकल्प, बोल और कर्म में प्रैक्टिकल लाओ तो मास्टर 
शान्ति देवा बन जायेंगे। फिर शान्ति की किरणें विश्व की सर्व आत्माओं को शान्ति के अनुभूति 
की तरफ आकर्षित करेंगी और आप शान्ति के चुम्बक बन जायेंगे। 

स्लोगन:- आत्म-अभिमानी स्थिति का व्रत धारण कर लो तो वृत्तियाँ परिवर्तन हो जायेंगी।

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