मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - किसी भी चीज़ में आसक्ति नहीं रखनी है, देह सहित सबसे पूरा बेगर बनना है,
शिवपुरी और विष्णुपुरी को याद करते रहना है।''
प्रश्न:- गरीब निवाज़ बाप गरीब बच्चों को भी किस बात में आप समान बना देते हैं?
उत्तर:- बाबा कहते जैसे मैं फ्राख़ दिल हूँ, कखपन ले तुम्हें बादशाही देता हूँ, ऐसे तुम बच्चे भल गरीब हो
लेकिन फ्राख़ दिल बनो। थोड़े पैसे से भी यह गॉडली युनिवर्सिटी खोल दो, इसमें खर्चा कोई नहीं। 3-4 ने
भी इस युनिवर्सिटी से अच्छा फल पा लिया तो खोलने वाले का अहो सौभाग्य। सिर्फ सपूत बनकर रहना।
कभी काम, क्रोध के वश सतगुरू की निन्दा नहीं कराना।
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) भल कोई निन्दा करे, हमें गुस्से में नहीं आना है। किसी से भी वाद विवाद नहीं करना है।
रिफ्रेश हो फिर सर्विस करनी है।
2) नींद को जीतने वाला बनना है। रात को जागकर भी बाप को याद करना है और ज्ञान का
सिमरण करना है। देही-अभिमानी रहने की प्रैक्टिस करनी है।
वरदान:- ब्राह्मण जीवन में सदा आनंद वा मनोरंजन का अनुभव करने वाले खुशनसीब भव
खुशनसीब बच्चे सदा खुशी के झूले में झूलते ब्राह्मण जीवन में आनंद वा मनोरंजन का अनुभव
करते हैं। यह खुशी का झूला सदा एकरस तब रहेगा जब याद और सेवा की दोनों रस्सियां टाइट हों।
एक भी रस्सी ढीली होगी तो झूला हिलेगा और झूलने वाला गिरेगा इसलिए दोनों रस्सियां मजबूत
हो तो मनोरंजन का अनुभव करते रहेंगे। सर्वशक्तिमान का साथ हो और खुशियों का झूला हो तो
इस जैसी खुशनसीबी और क्या होगी।
स्लोगन:- सबके प्रति दया भाव और कृपा दृष्टि रखने वाले ही महान आत्मा हैं।
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