मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हारे लिये योग की भट्ठी मोस्ट वैल्युबुल है,
क्योंकि इस भट्ठी से ही तुम्हारे विकर्म भस्म होते हैं''
प्रश्न:- किन बच्चों की बुद्धि में बीज और झाड़ की नॉलेज स्पष्ट बैठ सकती है?
उत्तर:- जो विचार सागर मंथन करते हैं। विचार सागर मंथन के लिए अमृतवेले
का टाइम बहुत अच्छा है। अमृतवेले उठकर बुद्धि से एक बाबा को याद करो।
तुम्हारा अजपाजाप चलता रहे। सूक्ष्म वा स्थूल में शिवबाबा, शिवबाबा कहने
की दरकार नहीं। बुद्धि से याद करना है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) टाइम बहुत थोड़ा है इसलिए बाप का पूरा-पूरा मददगार बनकर रहना है।
बाप और वर्से को याद करना है और दूसरों को भी कराना है।
2) अन्त समय में एक बाप की याद रहे इसके लिए दिल की प्रीत एक बाप से रखनी है।
बाप बिगर और कोई की स्मृति न आये, इसके लिए खबरदार रहना है।
वरदान:- स्नेह और भावना के बंधन में भगवान को भी बांधने वाले गायन योग्य भव
भक्ति मार्ग में गायन हैं कि गोपियों ने भगवान को भी बंधन में बांध दिया।
यह है स्नेह और भावना का बंधन, जो चरित्र रूप में गाया जाता है। आप बच्चे
इस समय बेहद के कल्प वृक्ष में स्नेह और भावना की रस्सी से बाप को भी बांध
देते हो, इसका ही गायन भक्ति मार्ग में चलता है। बाप फिर इसके रिटर्न में स्नेह
और भावना की दोनों रस्सियों को दिलतख्त का आसन दे झूला बनाए बच्चों को
दे देते हैं, इसी झूले में सदा झूलते रहो।
स्लोगन:- स्वयं को हर परिस्थिति में मोल्ड करने वाले ही सच्चे गोल्ड हैं।
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